Sunday 5 April 2015


अभी तो है समय




हैं अभी छोटे ये बच्चे

इसीलिए लेकर खिलौने ,गोलियाँ मीठी

कि लेकर चीज़ ,हो जाते हैं खुश

और हम आश्वस्त

पर

कल जब ये होंगे कुछ बड़े

और आते ही स्कूल से

माँगेंगे हम से पूरा जंगल

कोई खाली टुकड़ा धरती का

सभी रंग आसमानों के

करेंगे हठ ,हमें परबत ही लाकर दो

कभी रोयेंगे

'हम को पेड़ दिखलाने चलो '

या फिर हवा का स्वाद

चखने के लिए होंगे परेशां

हम को कर देंगे निरुत्तर

तब हमारे पास

बगलें झाँकने ही के अलावा

चारा क्या होगा ?

अभी भी है समय देखो

अभी छोटे हैं बच्चे

हम अभी तो

ढूँढ सकते हैं विकल्प इस का

पहाड़ों के हसीं पाँवों में

रुन -झुन घुंघरुओं की बांध सकते हैं

बना कर रख सकते हैं

आकाश को नीला

हवाओं को सुगंधें बाँट सकते हैं

बिछौना कर भी सकते हैं

हरे मखमल का धरती पर

अभी तो है समय

हम यदि आज चाहें तो

कल बच्चों को देने के लिये

उन के सवालों के जवाबों का

मुरब्बा डाल सकते हैं

कि दे सकते हैं इन बीजों को

अवसर वृक्ष बनने का

अभी तो है समय शायद

अभी छोटे हैं बच्चे। ....






 

1 comment:

  1. प्रिय , पाठकों , आप को मेरी रचनाएँ पसंद आये तो , प्लीज , जरुर बताइयेगा , बहुत प्रेरणा मिलती है ,आप की प्रतिक्रिया से , शुक्रिया ....

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