23 अप्रेल , रविवार को विश्व कविता दिवस के शुभ अवसर पर सार्वजानिक मंडल पुस्तकालय में
पुस्कालय अध्यक्ष श्रीमान दीपक जी श्रीवास्तव के संयोजन में भव्य आयोजन हुआ | इस कार्यक्रम
में मुझे भी विशिष्ट अथिति बनाया गया एवं सम्मनित किया | |ये सब सरप्राइज रखा गया
| मेरे लिए यह प्रथम अवसर था .... मैं इतना स्नेह , आत्मीयता पाकर अभिभूत हो गई , भाव
विहल भी और कृतकृत्य भी |विशेष प्रशंसनीय
कि मंच पर नए लेखकों और विशिष्ट जनों का आसीन किया गया जैसे ओम नगर जी , कृष्णा
कुमारी , सीमा घोष साहिबा , डॉ ............... इस अवसर पर हर बार की भाति वैदिक परम्परा के
अनुसार पुस्तक पूजन किया गया | सब से बड़ी बात कि यह प्रोग्रम दिव्यांग जनों और
बच्चों को समर्पित था | इन के पठन – पाठन हेतु पुस्तकालय में अलग से केबिन बनाया
गया | जिस में सारी सुविधाएँ हैं| बच्चों के लिए भी किताबें पढने के लिए विशेष व्यवस्थायें
की गई हैं | इन सभी कक्षों का इस दिन
लोकार्पण करवाया गया, दिव्यांग जनों एवं बच्चों के द्वारा , ये पल यादगार बन गए | हाँ , अब ये लाइब्रेरी ई लाइब्रेरी बन गई है \यहाँ .........किताबें
उपलब्ध हैं |यह बहुत अभिनन्दनीय एवं अनुकर्णनीय है | अति आधुनिक सुविधाओं से
सम्पन्न, सुसज्जित ...... पहली बार किसी पुस्तकालय में इतनी भव्यता देखी |यह सारा
कार्यक्रम फेस बुक पर लाइव प्रसारण भी किया , जिसे अनेक लोगों ने सीधा देखा, मेरे
मित्रों ने भी देखा , सराहा और कुझे बधाइयाँ भी दीं| इस भव्य समारोह के लिए दीपक
जी , शशि जी सहित सारे स्टाफ को बहुत ..बहुत साधुवाद ,बधाइयाँ ... , शुभकामनयें
.....
ये सब दीपक जी , श्रीमती शशि जैन एवं
समस्त स्टाफ के पूर्ण सहयोग और अथक श्रम का परिणाम है | मैं इस पुस्तकालय से विगत
20 वर्षों से जुडी हुई हूँ | यहाँ से मैंने अनेक किताबें पढ़ कर ज्ञान प्राप्त किया
है एवं अपने लेखन में प्रयोग भी किया है , मेरी अब तक की प्रकाशित सारी पुस्तकें यहाँ उपलब्ध
हैं | जिन को यहाँ के अध्यक्ष महोदयों ने , शशि जी ने खरीद कर मुझे उअकृत किया है
||दीपक जी की पोस्टिंग के बाद से तो जैसे बहार ही आ गई, या कहूँ कि चार चाँद लग गए
| इन्होनें इस पुस्तकालय को वाकई ज्ञान का मंदिर बना दिया | इतना विकसित कर दिया ,
कि देखते रह जाएँ , जो बहुत श्लाघ्य हैं ,इस की जितनी तारीफ की जाये कम है | दीपक
जी में यह जज्बा हमेशा बना रहेगा , मुझे
दृढ विश्वास है | इन के जज्बे को सलाम करती हूँ |
शशि जी के अथक श्रम एवं मेरे प्रति प्रगाढ़ प्रेम को नमन करती हूँ |इतना
स्नेह ......कृतार्थ हूँ | ये अपने काम के
प्रति समूर्ण समर्पित हैं | सारा स्टाफ भी मुझे बेहद प्यार करता है | इन सब के
प्रति मैं बहुत विनम्रता के साथ शुक्रगुजार हूँ | ये प्यार हमेशा बना रहे | आमीन ,
तथास्तु ......