Wednesday 10 May 2017

   23 अप्रेल , रविवार  को विश्व कविता दिवस के  शुभ अवसर पर सार्वजानिक मंडल पुस्तकालय में पुस्कालय अध्यक्ष श्रीमान दीपक जी श्रीवास्तव  के संयोजन में भव्य आयोजन हुआ | इस कार्यक्रम में मुझे भी विशिष्ट अथिति बनाया गया एवं सम्मनित किया | |ये सब सरप्राइज रखा गया | मेरे लिए यह प्रथम अवसर था .... मैं इतना स्नेह , आत्मीयता पाकर अभिभूत हो गई , भाव विहल भी और  कृतकृत्य भी |विशेष प्रशंसनीय कि मंच पर नए लेखकों और विशिष्ट जनों का आसीन किया गया जैसे ओम नगर जी , कृष्णा कुमारी , सीमा घोष साहिबा , डॉ ...............  इस अवसर पर हर बार की भाति वैदिक परम्परा के अनुसार पुस्तक पूजन किया गया | सब से बड़ी बात कि यह प्रोग्रम दिव्यांग जनों और बच्चों को समर्पित था | इन के पठन – पाठन हेतु पुस्तकालय में अलग से केबिन बनाया गया | जिस में सारी सुविधाएँ हैं| बच्चों के लिए भी किताबें पढने के लिए विशेष व्यवस्थायें की गई हैं | इन सभी  कक्षों का इस दिन लोकार्पण करवाया गया, दिव्यांग जनों एवं बच्चों के द्वारा , ये पल यादगार बन गए |  हाँ , अब ये लाइब्रेरी ई  लाइब्रेरी बन गई है \यहाँ .........किताबें उपलब्ध हैं |यह बहुत अभिनन्दनीय एवं अनुकर्णनीय है | अति आधुनिक सुविधाओं से सम्पन्न, सुसज्जित ...... पहली बार किसी पुस्तकालय में इतनी भव्यता देखी |यह सारा कार्यक्रम फेस बुक पर लाइव प्रसारण भी किया , जिसे अनेक लोगों ने सीधा देखा, मेरे मित्रों ने भी देखा , सराहा और कुझे बधाइयाँ भी दीं| इस भव्य समारोह के लिए दीपक जी , शशि जी सहित सारे स्टाफ को बहुत ..बहुत साधुवाद ,बधाइयाँ ... , शुभकामनयें .....

         ये सब दीपक जी , श्रीमती शशि जैन एवं समस्त स्टाफ के पूर्ण सहयोग और अथक श्रम का परिणाम है | मैं इस पुस्तकालय से विगत 20 वर्षों से जुडी हुई हूँ | यहाँ से मैंने अनेक किताबें पढ़ कर ज्ञान प्राप्त किया है एवं अपने लेखन में प्रयोग भी किया है , मेरी  अब तक की प्रकाशित सारी पुस्तकें यहाँ उपलब्ध हैं | जिन को यहाँ के अध्यक्ष महोदयों ने , शशि जी ने खरीद कर मुझे उअकृत किया है ||दीपक जी की पोस्टिंग के बाद से तो जैसे बहार ही आ गई, या कहूँ कि चार चाँद लग गए | इन्होनें इस पुस्तकालय को वाकई ज्ञान का मंदिर बना दिया | इतना विकसित कर दिया , कि देखते रह जाएँ , जो बहुत श्लाघ्य हैं ,इस की जितनी तारीफ की जाये कम है | दीपक जी में  यह जज्बा हमेशा बना रहेगा , मुझे दृढ विश्वास है | इन के जज्बे को सलाम करती हूँ |  शशि जी के अथक श्रम एवं मेरे प्रति प्रगाढ़ प्रेम को नमन करती हूँ |इतना स्नेह ......कृतार्थ हूँ |  ये अपने काम के प्रति समूर्ण समर्पित हैं | सारा स्टाफ भी मुझे बेहद प्यार करता है | इन सब के प्रति मैं बहुत विनम्रता के साथ शुक्रगुजार हूँ | ये प्यार हमेशा बना रहे | आमीन , तथास्तु ......