भूख और कविता 
तुम्हारे पास बीडी हे 
मेरे पास माचिस 
देखो कितना दयालु हे
 
ऊपर वाला भी 
चलो चलते हैं 
किसी थडी पर 
शायद मिल जाए 
अपनी ही बिरादरी का 
एक और 
नहीं तो बस 
आज -आज और 
डाल लेगें पेट में 
उधार की चाय 
फिर चलेगें उसी नाले की 
उसी पुलिया पर 
उस की धूल धोई डोली पर 
बैठ कर करेगें 
थोड़ी गपशप 
मसलन -… बिहार में राष्ट्रपति शासन 
लागू होना चाहिए या नहीं 
आज के एपिसोड में 
;कोण बनेगा करोडपति/ 
'लो बन ही गया 
अपना 'अभिजीत सावंत ' 
पहला ;इंडियन आयडल ' 
काश … 
उस की जगह 
उस की मां के गर्भ में 
हम पले होते 
कितने मजे आये न यार 
बन जाते हम भी /रातों रात 
सुपर -डुपर स्टार 
किसी अमिताभ बच्चन की तरह 
और लग जाते 
विदेशी म्युजियमों में 
अपने भी मोमीले बुत 
जीते- जी हमारे 
जब बतियाते -बतियाते 
सोचते -सोचते 
फूलने लगेगीं अपनी सांसे 
तुम मुझे बीड़ी देना 
मैं तुम्हे माचिस दूंगा 
और पीते -पीते बीडी 
हम लिख डालेगें 
ब्रांडेड सिगरेट की तरह \ 
सुलगती कवितायेँ 
जी की एक ही चिंगारी 
बुझे हुए दिलों को 
भभका देंगी एक दम 
वैसे हमारे 
पुरखे कह गए हें 
-भूखे भजन न होए गुपाला ' 
मगर 
भूख जरुर लिखवा लेती है 
फर्स्ट क्लास कवितायेँ 
जो ले सकती हैं टक्कर 
एयर कंडीशंड चेम्बर्स में 
बैठ कर रची गई 
महान मेडलधारी 
नोबल कविताओं से
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