पेड़
और तस्वीरें 
बारिश के आते ही /हर बार की तरह 
वो आये पूरे लवाजमे के साथ 
कुछ एक पेड़ों की पौध रोपी 
और खिंचवाई बहुत ...सारी तस्वीरें 
उस दिन / ख़ुशी से हरा हो गया 
सारा वातावरण 
मगर अफसोच  
दो –तीन  ही दिन
बाद /नहीं बचा था 
दूर - दूर तक नामोनिशान  तक 
लावारिस लगाये गए उन पौधों का  
बन चुके थे भोजन /जो 
पशुओं का  /बिना बाढ़ की पौध  
और बिना मेड  के खेत  
आखिर कब –तक ....रह सकते
हैं जीवित / हर
नन्हें को चाहिए होता है  
सुरक्षा गार्ड
ममतामयी आँचल और दानापानी 
 अगली भोर 
सारे अख़बारों में सुर्ख़ियों के साथ 
छपी थी ,
पौध रोपते हुए उन की तस्वीरें 
जादुई शीशे में / तमाम चैनलों पर 
दिखाई  जा रही
थीं 
गुणगान किया जा रहा था 
तस्वीरें खिंचवाने वालों के 
प्रकृति प्रेम का 
संरक्षित हो चुकीं थीं  तस्वीरें  
हमेशा –हमेशा के लिए 
जो रखेंगी संरक्षित सदियों तक 
उन के प्रकृति प्रेम को 
उन का ये पेड़ –प्रेम बन चुका है  
एक इतिहास 
और वो हो गए हैं  अमर 
पेड़ों का क्या ......?..?..?
.पनपे न पनपे .! ! ! 
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कृष्णा कुमारी 
 
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