Kavya-Srijan
Saturday 18 May 2013
तू हें परबत ,मैं तेरी गोद की नदिया हो जाऊं
घुल के बह जाये अना जिस में वो धारा हो जाऊं
कोई छेड़े तो सही धुन वो कन्हेंया वाली
मैं तो अजखुद ही महारास की राधा हो जाऊं
कृष्णा
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