Saturday 4 February 2012

2 comments:

  1. वो रोता हे किस्मत में बच्चा नहीं हे
    ये रोता हे बेटी हे ,बेटा नहीं हे
    सुहा जाये कब दिल को क्या ,दिल ही जाने
    किसी का भी बस दिल पे चलता नहीं हें
    गुजर हे गई उम्र सुहबत में लेकिन
    मरे दिल में क्या हे ,वो समझा नहीं हे
    मैं इक टक उसे तकती जा रही हूँ
    मगर उसने मुड कर भी देखा नहीं हे
    आगे चार होती हे उल्फत में आँखें
    तो हर हाल में प्रेम अँधा नहीं हें
    आसामी करोडोका होगा तो होगा
    किसी को वो कोडी भी देता नहीं हें
    हर इक शख्स बेमिस्ल होता हे 'कमसिन
    कोई भी किसी और जेसा नहीं हें

    ......'तो हम क्या करें ;----से

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